वास्तव में परिवेश बहुसंख्य विभिन्न उद्दीपनों के रूप में तंत्रिका-तंत्र पर प्रबल प्रभाव डालता है: मनुष्य को लंबे समय तक कोई बहुत ही कठिन कार्य करना, आपात स्थिति से जूझना, अतिशय मानसिक तनाव पैदा करनेवाले प्रबल क्षोभकों पर प्रतिक्रिया दिखाना और कुछ क्षोभकों के प्रभाव में अपनी स्वाभाविक प्रतिक्रिया को इसलिए दबाना पड़ सकता है कि अन्य, अधिक महत्त्वपूर्ण क्षोभकों के संबंध में पूर्ण प्रतिक्रिया दिखाई जा सके।